बच्चों का बचपन सँवारने में बालों में कब सफेदी आ गई, पता ही नहीं चला....

बच्चों का बचपन सँवारने में बालों में कब सफेदी आ गई, पता ही नहीं चला....

बच्चों का बचपन सँवारने में बालों में कब सफेदी आ गई

बच्चों का बचपन सँवारने में बालों में कब सफेदी आ गई, पता ही नहीं चला....

"सुबह से चले जिंदगी में न जाने कब शाम हो गई

चंद पल जो जिए इस शाम, सबब-ए-जिंदगी मेहरबान हो गई"

बच्चों की परवरिश करने और परिवार की जिम्मेदारी उठाने में एक उम्र निकल गई और बालों में कब सफेदी आ गई, इसका एहसास करने का कभी समय ही नहीं मिला। गुड़िया से खेलती और उसकी शादी कराती अपनी बेटी की खुद की शादी की उम्र हो चली.... बस फिर क्या था, जिम्मेदारियों के भरे-पूरे संदूक में दबी-कूची थोड़ी-सी जगह खाली बची थी, सो वह भी भर गई। बेटी के ब्याह के बाद उसके ससुराल से संबंधित कुछ जिम्मेदारियाँ उठाते-उठाते बेटे को परिणय सूत्र में बाँधने, बहु को बेटी की तरह स्नेह देने की अभिलाषा और फिर नाती-पोतों के प्रति उमड़ता प्यार कुछ यूँ रहा कि खुद पर ध्यान देने और खुद के लिए कुछ करने का तो जैसे कभी मौका ही नहीं मिला। इस बीच ख्याल आया कि काश, एक दिन के लिए ही सही, खुद के लिए भी जी पाते....

शायद हर माता-पिता के जीवन में यह काश एक न एक बार तो जरूर आया होगा। इस काश को सच करने वाला वह एक विशेष दिन और कोई नहीं, बल्कि 18 दिसंबर रहा, जब देश की अग्रणी संस्था, पीआर 24x7 द्वारा उड़ान 2022 का आगाज़ माता-पिता के चेहरे की खुशी को सर्वोपरि रखकर हुआ, जिसमें पूरे दिन उन्हें खुलकर अपनी प्रतिभा अपने बच्चों के सामने लाने और अपने लिए कुछ अनमोल पल जीने का अवसर मिला।

पीआर 24x7 के फाउंडर, अतुल मलिकराम कहते हैं, "जहाँ एक ओर व्यस्तता के इस दौर में हमें और हमारे बच्चों के पास समय का काफी अभाव है, वहीं हमारे माता-पिता अपना सर्वस्व भूलकर हमारी परवरिश में इस कदर जुट गए कि उन्हें शायद खुद के लिए क्षणभर भी बिताने का समय नहीं मिला होगा। अपने माता-पिता को मैं इस व्यस्तता भरे जीवन से परे ऐसे पल उपहार स्वरुप देना चाहता था, जो सिर्फ उन्हीं के हों, जिसे जीकर वे स्वयं के महत्व और भीतर छिपी प्रतिभाओं को खुलकर सबके सामने ला सकें। मेरे माता-पिता को इसे जीते हुए देखने का मौका आखिरकार मुझे अपने बच्चों के माता-पिताओं के रूप में मिल गया। यूँ कहूँ कि हर बच्चे के माता-पिता में मुझे अपने माता-पिता की छवि देखने का सौभाग्य मिला, जो कि लम्बे समय से मेरा सपना था। मैं उन्हें तहे-दिल से धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने मेरे इस सपने को सच और साकार करने में अमिट योगदान दिया।"

कार्यक्रम में मौजूद कुछ पेरेंट्स ने इस प्रकार प्रतिक्रियाएँ दीं:


"यह कार्यक्रम हमारे भीतर एक नई ऊर्जा लेकर आया है। इसने यह एहसास कराया कि खुद के लिए जीना कितना अहम् है। कार्यक्रम में सभी की खुशी देखते ही बनती थी। इस तरह के कार्यक्रम निरंतर रूप से आयोजित किए जाने चाहिए, क्योंकि यह हमारे लिए प्रेरणा बनकर उभरा है।"